हलधर किसान। बुंदेलखंड देश का वह हिस्सा है जो पानी की कमी के चलते अक्सर खबरों में रहता है. लेकिन यहां के एक किसान ने एक ऐसा फॉर्मूला ईजाद किया है जिससे किसानों को सालभर फसलों का फायदा हासिल होगा.
बुंदेलखंड का वह किसान जो एक टेक्निक से हर साल कमाता लाखों रुपए, जानें कौन हैं आकाश चौरसिया
सागर के किसान आकाश चौरसिया क्षेत्र के सम्पन्न किसान हैं. उनके पास 2.5 एकड़ या एक हेक्टेयर जमीन है. कम लागत और एडवांस्ड कृषि तकनीकों के साथ, आकाश मल्टीलेयर क्रॉपिंग और अन्य संबद्ध कृषि पद्धतियों जैसे खाद (वर्मीकम्पोस्ट), जैव कीटनाशक और दूध के उत्पादन के माध्यम से अपने खेत से हर साल करीब 30 लाख रुपए कमाते हैं.
आकाश को अब उनके फॉर्मूले की वजह से जैविक कृषि का विशेषज्ञ तक करार दिया जाने लगा है. 29 साल के आकाश ने क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि में यकीन रखते हैं. उन्होंने प्रभावी खेती के तरीकों का प्रयोग और आविष्कार किया है जो उन्हें निवेश कम रखने में मदद करते हैं.
मल्टी-लेयर खेती मुख्य रूप से नकदी फसल आधारित है. इसमें सब्जियों और फलों का संयोजन शामिल है जिन्हें एक साथ उगाया जा सकता है. एक ही भूमि पर अलग-अलग ऊंचाई पर फसलें उगाई जाती हैं. यह खेती खुले मैदान में नहीं की जा सकती क्योंकि छाया की आवश्यकता होती है.
आकाश बताते हैं कि 44 फसल लगाने में मल्टी लेयर पद्धति का इस्तेमाल किया गया है. इस मॉडल में वह खेत में देसी ग्रीन हाउस तैयार करते हैं. इसके अंदर तीन-तीन फीट के बेड बनाए हैं. यहां उन्होंने जमीन के अंदर मिट्टी पर उगने वाली और बेल व फल वाले पौधे लगाए हैं.
एक साथ यह जमीन चार फसलें देती है. आकाश ने फरवरी 2023 में करीब सवा एकड़ में 44 फसलों को एक जगह पर लगाकर प्रयोग किया था. 44 फसलो का करते है उत्पादन
जमीन के अंदर अदरक, पीली हल्दी, काली हल्दी, सफेद हल्दी लगाई. पत्ती वाली फसल में धनिया, पालक, चौलाई, मेथी नार्मल, लाल भाजी, नोरपा भाजी, चेतुआ भाजी, नोनिया भाजी, कस्तूरी मैथी, राजगिरा भाजी लगाई. लता वाली फसलों में लौकी, गिलकी, तोरई, टिंडा, ककड़ी, करेला, खीरा, परवल, कुंदरू, ककोड़ा, तरबूज, खरबूज और फल वाली फसलों में पपीता, सहजन, केला लगाया. इसमें 24 से 25 फसलें पूरी तरह से खेत से निकल चुकी हैं.
आकाश को अब मल्टी लेयर फार्मिंग का लीडर कहा जाता है. साल 2014 से ही वह इस सिस्टम पर काम कर रहे हैं. इस आइडिया की वजह से उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं. अब आकाश सागर के कपूरिया स्थित अपने खेत में किसानों को हर महीने तीन दिन निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं.