हलधर किसान। दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक शिक्षिका पुलमथी ने 27 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की है। ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहीं महिलाएं आसपास के गांवों में रहने वाली महिलाओं को भी काम मुहैया करा रही हैं। पुलमथी स्कूल के बच्चों को खेतों में ले जाकर साइंस के प्रैक्टिकल कॉन्सेप्ट समझाती हैं। पुलमथी दो बच्चों की मां भी हैं। बच्चे 10वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी नौकरी, परिवार और खेती एक साथ संभालती हैं। पढ़िए एक ऐसी कहानी जिसमें जैविक खेती कर रही शिक्षिका ने कैसे सफलता और संतुलन हासिल कर अन्य महिलाओं को भी खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में सरकारी स्कूल में सेवारत शिक्षिका पुलमथी ने ऑर्गेनिक खेती की शुरुआत की है। इन्होंने अराकू घाटी के पेड्डलाबुडु गेवाल गांव में अपनी 27 एकड़ जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत कर अन्य महिलाओं को भी इससे जोड़ा है। केवल महिला श्रमिकों के साथ खेती-किसानी में जुटीं महिला शिक्षिका पुलमथी एक रोल मॉडल हैं।
कृषि में महिलाओं की बदलती भूमिका का जीवंत प्रमाण पुलमथी, को बीएड की पढ़ाई पूरी करने के बाद अराकू घाटी के एक आदिवासी गांव में सरकारी स्कूल में शिक्षिका की नौकरी मिली। 27 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक खेती का आइडिया कैसे आया, इस पर पुलमथी बताती हैं कि स्कूल लाइफ से ही उन्हें खेती का शौक था।27 एकड़ जमीन पर वे चावल, गेहूं, अदरक और सब्जियों की खेती करती हैं। पहाड़ी इलाके के कारण पानी की कमी हुई, इसके बावजूद उन्होंने खेती बंद नहीं की।
पुलमथी बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें खेती का शौक था। स्कूल लाइफ में छुट्टियों के दौरान, वह अपने खेतों में जाती थीं। खेती से जुड़ी गतिविधियों में पुलमथी बढ़चढ़कर भाग लेती थीं। जैविक खेती कर रहीं पुलमथी बताती हैं कि पहाड़ी इलाकों के कारण पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता था। इसी बीच उन्होंने अपनी लगभग 27 एकड़ कृषि भूमि पर चावल, गेहूं, अदरक और आम की खेती शुरू की।
बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रैक्टिकल एप्रोच
आदिवासी गांव में रहने और सरकारी नौकरी पाने के बाद भी खेती नहीं छोड़ने वाली पुलमथी को देखकर कई स्थानीय महिलाओं ने भी उनके साथ ही खेती का काम शुरू किया। पुलमथी बताती हैं कि वे पहली से पांचवीं कक्षा के 15 छात्रों को पढ़ाती हैं। बकौल पुलमथी, ‘मज्जिवल्सा स्कूल में वे एकमात्र शिक्षिका हैं। सभी विषयों को पढ़ाती हूं, लेकिन विज्ञान विषय पढ़ाने की जरूरत होने पर वे छात्रों को अपने साथ खेतों में ले जाती हैं। इसका मकसद कृषि भूमि के ज्ञान के अलावा विज्ञान के कॉन्सेप्ट व्यावहारिक रूप से सिखाना है।
खेतों में केमिकल का इस्तेमाल रोकने का प्रयास
बकौल पुलमथी, आजकल लोग बीमारियों से जूझ रहे हैं क्योंकि कीटनाशकों और कीटनाशकों के रूप में रसायनों का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। खेतों में डाले जा रहे केमिकल के कारण फलों और सब्जियों की क्वालिटी प्रभावित हो रही है। लोग इसका उपभोग कर बीमार हो रहे हैं। वे बताती हैं कि लोगों की सेहत ठीक रहे, इस मकसद से वे 27 एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रही हैं। महिला श्रमिकों का सहयोग मिलता है। किसानी में मदद कर रहीं अधिकांश महिलाएं उनके परिवार और गांव से ही हैं।