हलधर किसान। जीवन की सार्थकता भौतिकता के साथ आध्यात्मिकता के समन्वय में है। यदि सारा जीवन साधन जुटाने में लगाएंगे तो स्वयं ही साधन बन जाएंगे। जीवन की सार्थकता भौतिकता को साधन और आध्यात्मिकता को साध्य मान कर जीवन जीने में है।
उक्त विचार राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने राजभवन से बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल के दीक्षांत समारोह को वर्चुअल संबोधित करते हुए व्यक्त किये। दीक्षांत अवसर पर 74 शोधार्थियों को पी.एच.डी. उपाधि, 94 को स्नातकोत्तर उपाधि और 27 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। विद्यार्थियों को सीख देते हुए कहा कि आज के बाद जीवन के अनुभव शिक्षक और जमीनी सच्चाइयाँ शिक्षा होगी। उनसे सीख लेते हुए ही जीवन में आगे बढ़ना होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अग्रणी है मध्यप्रदेश – मंत्री श्री यादव
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जीवन में शिक्षा का जितना महत्व है, दीक्षा का भी उतना ही महत्व है। दीक्षा व्यक्ति को संस्कारित करती है और जीवन की दिशा का बोध कराती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अग्रणी राज्य है। मुख्य वक्ता न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही ने कहा कि भौतिक प्रगति मानवीयता और संवेदनशीलता का विकल्प नहीं हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि ज्ञान और यंत्रों का उपयोग दिशा बोध के साथ मानवता के कल्याण में किया जाए। उन्होंने कहा कि अंतर्मन की संवेदनाओं को समझ कर भावी जीवन की राह तय करने में ही जीवन की सफलता है। कुलपति प्रो. आर.जे. राव ने स्वागत उद्बोधन और विद्यार्थियों को दीक्षांत उपदेश दिया। संचालन कुलसचिव डॉ. आई.के. मंसूरी ने किया।