छत्तीसगढ़ के छिछली में 70 एकड़ पर बनेगा चाय बागान और होगी मसाले की खेती

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हलधर किसान। छत्तीसगढ़ में परम्परागत खेती के साथ चाय मसाले, स्ट्रॉबेरी खेती को बढ़ावा देने के लिये शासन, प्रशासन किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। किसानों के लिए जशपुर कलेक्टोरेट के मंत्रणा सभाकक्ष में चाय की खेती, मसालें की खेती, स्ट्रॉबेरी की खेती, करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल ने सभी किसानों को प्रोत्साहित करते हुए अच्छी खेती करते हुए आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए कहा । उन्होंने कहा की किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन देने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को जशपुर बुलाया गया है। ताकि किसानों को खेती संबंधी विशेष जानकारी दी जा सके। उन्होंने कहा की बगीचा विकासखण्ड के छिछली गांव में 70 एकड़ चाय, मसाले की खेती के लिए जमीन का चिन्हांकन किया गया है। लगभग 45 किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा अन्य किसानों को भी खेती करने के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। जशपुर के किसान मिर्च, काजू, टमाटर, जीराफूल चावल और नासपाती, सहित अन्य फसलों की भी अच्छी खेती कर रहे है।
कार्यशाला को आईआईटी खड़कपुर से आए सेवानिवृत प्रोफेसर चाय और कृषि के विशेषज्ञ बीसी घोष ने किसानों को चाय की खेती की तकनीकी जानकारी देते हुए बताया कि जशपुर का वातावरण और मौसम खेती के लिए बहुत ही उपयुक्त है। कम लागत से किसान अधिक लाभ ले सकते है। उन्होंने बताया कि यहॉ की मिट्टी चाय की खेती के लिए उपयुक्त है। अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ उठाने के लिए कहा । उन्होंने बताया कि स्टाॅबेरी, मसाले, और चाय की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। चाय की खेती के लिए छाया की भी आवश्यकता पड़ती है। चाय बगान में छाया देने के लिए अन्य फसल भी लगाया जा सकता है। जिससे किसानों को दोहरा लाभ प्राप्त होगा । वनमंडलाधिकारी जितेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि किसानों को अन्य फसलों का लाभ लेने के लिए बाहर से विशेषज्ञों को बुलाया जा रहा है साथ ही दार्जिलिंग, आसाम और जहां चाय की अच्छी खेती होती है । वहां किसानों को भ्रमण के लिए भेजा जा रहा है। इस अवसर पर उद्यान विभाग के सहायक संचालक आर. एस. तोमर और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।
चाय बागान के साथ हो रही मसाले की खेती
मसालों के पौधे लगाए गए हैं। सोगड़ा के चाय बागान में तेजपत्ता, लौंग, इलाइची, दालचीनी, वी एनआर अमरूद, तुलसी, लेमन ग्रास, काली मिर्च, लहसून, झरबेरा, जंगली धनिया, धतुरा, मदार, एलोविरा आदि लगाए गए हैं। इनमें से कई मसाले तो पहले से जिले के किसान अपनी बाड़ियों में उगाते आए हैं। तेजपत्ते के पौधों का ग्रोथ काफी अच्छा है जिसे देखते हुए सारूडीह के सरकारी चाय बागान में सफलतापूर्वक मसाले की खेती हो रही है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर मसालों की खेती होगी।

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