हलधर किसान। आलू की खेती करने वाले किसानों को शीतलहर और पाले की वजह से फसल बर्बाद होने का भय सता रहा है. किसानों को लग रहा है कि इसी तरह से पाले का प्रकोर जारी रहा तो आलू का प्रोडक्शन भी प्रभावित हो जाएगा. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान उठना पड़ सकता है. खास कर उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में पड़ रही ठंड से आलू किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. किसानों को अपनी फसल मेंं पाला पड़ने और झुलसा रोग का डर सता रहा है. हालांकि, इससे बचाव के लिए किसान तरह- तरह के जतन कर रहे हैं. आलू की खेती करने वाले किसान अपनी फसलों की हल्की सिंचाई कर रहे हैं, ताकि खेत का तापमान बराबर बना रहे और फसल का बचाव हो सके.
50 हजार हेक्टेयर रकबे में आलू की खेती कर रखी है
बता दें कि हाथरस जिले में किसान आलू की खेती प्रमुखता से करते हैं. इस साल जिले में किसानों ने 50 हजार हेक्टेयर रकबे में आलू की खेती कर रखी है. यानी किसानों का मोटा पैसा फसल में लगा हुआ है. वहीं, स्थानीय किसानों का कहना है कि कुछ खेतों में झुलसा के चलते आलू के पौधों की पत्तियां, तना व जड़ें काली पड़ने लगी हैं. इससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. सही समय पर अगर इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो फसल बर्बाद होने का खतरा है.
किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है
कृषि वैज्ञानिक एसआर सिंह ने बताया कि ठंड और अधिक नमी की वजह से आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना बढ़ गई है. इस बीमारी से आलू के पौधे की पत्तियां झुलस जाती हैं. ऐसा लगता है, जैसे पत्तियां जल गई हों. साथ ही झुलसा रोग लगने से आलू का उत्पादन भी प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है. इसीलिए कृषि वैज्ञानिकों ने आलू के किसानों को जागरूक करना शुरू कर दिया है. कृषि वैज्ञानिक एसआर सिंह ने बताया कि फाइटोफ्थोरा नाम के फफूंद की वजह से आलू के पौधों में अधिक नमी की वजह से झुलसा रोग होता है. अगर समय से इसकी रोकथाम न की जाए तो पूरी फसल खेत में ही झुलस जाती है. एसआर सिंह ने बताया कि झुलसा रोग से बचाव के लिए किसान 3 ग्राम कर्जेट एमआर्ट व डाई मेथोमार्फ दवा एक लीटर पानी में मिलाकर आलू फसल के ऊपर छिड़काव करें. साथ ही पाले से बचाव के लिए खेत की नमी बनाए रखें. फसल की हल्की- हल्की सिंचाई करते रहें.