अपनी धरती और देश को आगे ले जाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ाना होगा : श्री तोमर

हलधर किसान। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एनएएससी, पूसा, नई दिल्ली में रबी अभियान 2022-23 के लिए कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि चौथे अग्रिम अनुमान (2021-22) के अनुसार, देश में खाद्यान्न का उत्पादन 3157 लाख टन होने की संभावना है जो कि 2020-21 के दौरान खाद्यान्न के उत्पादन से 50 लाख टन अधिक है। 2021-22 के दौरान कुल दलहन और तिलहन का उत्पादन क्रमशः 277 और 377 लाख टन होने का अनुमान है, जो अभूतपूर्व है।

श्री तोमर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से कृषि क्षेत्र में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। देश में उत्पादन की दृष्टि से बहुत काम हुआ है, जिससे खाद्यान्न, दलहन और तिलहन के उत्पादन में वृद्धि हुई है। आज कृषि के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटना और उनका समाधान करना हमारी प्राथमिकता है।

पिछले दो साल में सरसों का उत्पादन 29 फीसदी बढ़कर 91.24 से 117.46 लाख टन हो गया है। उत्पादकता में 10 प्रतिशत वृद्धि के साथ इसका उत्पादन 1331 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़कर 1458 किग्रा/हेक्टेयर हो गया। रेपसीड और सरसों का रकबा 2019-20 में 68.56 से 17 प्रतिशत बढ़कर 2021-22 में 80.58 लाख हेक्टेयर हो गया है। उन्होंने इस सराहनीय उपलब्धि के लिए कृषक समुदाय और राज्य सरकारों की सराहना की। सरसों का बढ़ा हुआ उत्पादन पाम और सूरजमुखी के तेल के आयात के अंतर को कम करने में मदद करेगा। सरकार अब सरसों मिशन की तर्ज पर विशेष तौर पर सोयाबीन और सूरजमुखी मिशन लागू कर रही है।प्रधानमंत्री के प्रयासों से वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम का नेतृत्व भारत पूरी दुनिया में करने जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि बाजरा का उत्पादन और निर्यात बढ़ाया जाए और किसानों की आय बढ़ाई जाए। उन्होंने राज्यों में पौष्टिक अनाज को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने दो पुस्तकों का विमोचन किया।कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने बताया कि सरकार ने किसानों को लाभान्वित करने के लिए ई-एनएएम, एफपीओ और डिजिटल कृषि जैसी अनेक पहल की हैं। प्राकृतिक खेती की प्रणालियों को बढ़ावा देने और खेती की नई प्रणाली में किसानों के हितों की रक्षा के लिए, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और अन्य अनुसंधान एवं विकास संस्थान तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए ज्ञान केंद्र होंगे।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव श्री मनोज आहूजा ने बताया कि देश में 2015-16 से खाद्यान्न उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले सात वर्षों में कुल खाद्यान्न उत्पादन 251.54 से बढ़कर 315.72 मिलियन टन हो गया है। तिलहन और दलहन में भी यही रुख रहा है। वर्ष 2021-22 के लिए कृषि उत्पादों (समुद्री और वृक्षारोपण उत्पादों सहित) का निर्यात 50 बिलियन अमरीकी डालर को पार कर गया है, जो कृषि निर्यात के लिए अब तक का सर्वाधिक है।

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने जलवायु के अनुकूल तौर-तरीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक परिप्रेक्ष्य और स्थापित की जा रही अनुकूलन रणनीतियों का भी विवरण दिया।

उर्वरक विभाग की सचिव श्रीमती आरती आहूजा ने उर्वरकों की समय पर आपूर्ति की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने उर्वरकों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी दी।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अपर सचिव अभिलक्ष लेखी ने कहा कि वर्तमान रबी सीजन के लिए डिजिटल कृषि की रणनीतियों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।

संयुक्त सचिव (सूखा प्रबंधन) श्रीमती छवि झा ने सूखा नियमावली के अनुसार उन उपायों का विवरण प्रस्तुत किया, जिन्हें राज्यों को सूखे की स्थिति में अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संकट में फंसे किसानों की मदद के लिए राज्यों को आगे आना चाहिए और फसल उत्पादन के लिए आकस्मिक योजना को अपनाना चाहिए।

संयुक्त सचिव (फसल और तिलहन) श्रीमती शुभा ठाकुर ने देश को दलहन और तिलहन सामग्रियों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगले पांच वर्षों के लिए विजन प्रस्तुत किया। 2025 तक दलहन के लिए 325 लाख टन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र विस्तार में 14 प्रतिशत और उत्पादकता वृद्धि 23 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।

संयुक्त सचिव (सूचना प्रौद्योगिकी) प्रमोद कुमार मेहरदा ने राज्य सरकारों के सहयोग से सभी कृषक समुदाय विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी और हाई-टेक समाधानों का लाभ प्रधान करने के लिए एक मिशन मोड परियोजना को लागू किया जाएगा।

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