रबी सीजन में भी लहलहा रहा मक्का, गत वर्ष के मुकाबले बढ़ा रकबा

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हलधर किसान। रबी सीजन में आमतौर पर जिला गेहूं के बंपर उत्पादन के लिए जाना जाता है, लेकिन अब किसान अपनी अर्थव्यवस्था बदलने गेहूं के साथ-साथ मक्का भी लगा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक पिछले बार आंकड़ा 5000 हेक्टेयर के बीच था, वहीं इस वर्ष यह 8000 हेक्टेयर पहुंच गया। यानी पूरे जिले में 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का किसानों ने लगाई है। किसानों ने गेहूं, चने पर निर्भर ना होकर मक्का भी अपनाया है। निश्चित ही यह कृषि के आधार पर अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने की पहल है। घुघरियाखेड़ी के कृषक रेखा पंवार ओर प्रगतिशील युवा कृषक प्रिस गुप्ता ने बताया उन्होंने पहली बार 5एकड़ रकबे में हाईब्रिड मक्का लगाई है। यह करीब 5 माह की फसल है। समय और मौसम अनुकूल रहा तो 35-40 बोरा प्रति एकड़ की पैदावार होगी। मक्का के अधिक लगाने के पीछे और किसानों के बढ़ते रुझान का मुख्य कारण मक्के की बढ़ी मांग है। मक्का का उपयोग खाने पीने की वस्तुओं में भी हो गया। शीटकॉन की बिक्री भी बढ़ी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मक्का लगाने से किसानों को लाभ होगा। खेत भी अच्छे तैयार होते हैं।

इसलिए बढ़ा मक्का के प्रति रुझान
किसान प्रिंस गुप्ता का कहना है एक एकड़ में गेहूं 18 क्विंटल तक की पैदावार होती है, जबकि मक्का एक एकड़ में अधिकतम 40 क्विंटल पैदा होता है। इसके अलावा पानी, खाद और बीज की लागत में कोई विशेष अंतर नहीं आता। इसके अलावा बाजार भाव भी ठीक है।
एक से अधिक फसल लगाने की सलाह
कृषि विभाग के सहायक उप संचालक प्रकाश ठाकुर का कहना है किसानों को एक से अधिक फसल लगानी चाहिए। क्योंकि मौसम की मार से कई बार जोखिम भी उठाना पड़ता है। इसलिए जोखिम से बचना चाहिए। रबी सीजन में मक्का का रकबे बढ़ना अच्छी बात है। तापमान में गिरावट आई और ठंड नहीं पड़ी तो गेहूं के उत्पादन में असर पड़ सकता है, लेकिन मक्का पर इसका असर कम पड़ता है। किसानों को हमेशा एक से अधिक फसलें लगाना चाहिए।

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