हलधर किसान (सफलता की कहानी)। खेती केवल अन्न, फल. सब्जी उत्पादन कर आय का साधन ही नही बल्कि किसान को सम्मान भी दिलाती है।
MNC कंपनी से लाखों की नौकरी छोड़ खेती को चुना
वर्तमान में भले ही कई युवा निजीकरण की अंधी दौड़ में शामिल होकर कंपनियों की ओर रुख कर रहे है लेकिन ऐसे कई उदाहरण है जो लाखों रुपए की नौकरी छोड़ अपने पूर्वजों की कंपनी, पूंजी याने खेती को न केवल संभाल रहे है बल्कि उसमें अपनी शिक्षा के अनुभव से ऐसा बदलाव ला रहे है जिससे कमाई तो हो रही साथ ही वे ओरो के लिए प्रेरणा भी बन रहे है।
![MNC कंपनी से लाखों की नौकरी छोड़ खेती को चुना, उद्यानिकी फसलों से हो रहा करोड़ो का मुनाफा 2 MNC कंपनी से लाखों की नौकरी छोड़ खेती को चुना, उद्यानिकी फसलों से हो रहा करोड़ो का मुनाफा](https://www.haldharkisan.in/wp-content/uploads/2023/12/image-1.png)
ऐसी ही छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला स्थित कुरुद प्रखंड के चरमुडिय़ा गांव की महिला किसान स्मारिका चंद्राकर है जो उद्यानिकी फसलो के उत्पादन से जिले की नही बल्कि प्रदेश में चर्चाओं में है।
पुणे से एमबीए पास है, साथ ही कम्प्यूटर साइंस में बीई कर चुकी स्मारिका मल्टीनेशनल कंपनी में 15 लाख रुपए के सलाना पैकेज पर नौकरी करती थी। सबकुछ अच्छा चल रहा था। इसी दौरान उसके पिताजी की तबीयत खराब हो गई, यही स्मारिका चंद्राकर के लिए जीवन में बदलाव का पल साबित हुआ।
गांव लौटने के बाद खेती से ऐसा जुडाव हुआ कि दोबारा कंपनी लौटने का मन ही नही बनाया। उनका कहना है कि उसके पिता के पास गांव में काफी जमीन है। उन्होंने साल 2020 में 23 एकड़ में सब्जी की खेती शुरू की थी।
लेकिन, तबीयत खराब होने की वजह से वे अच्छी तरह से खेती नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में स्मारिका चंद्राकर ने नौकरी छोड़ दी और गांव आकर अपने पिता के साथ खेती में मदद करने लगी। फिर देखते ही देखती वह वैज्ञानिक तरीके से अपनी सभी जमीन पर खेती शुरू कर दी। उन्होंने मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार ही फसल का चुनाव किया। इससे जबरदस्त उत्पादन होने लगा।
इन राज्यों में होती है सब्जियों की सप्लाई
कुछ रुपये खर्च कर अपने खेत को आधुनिक कृषि फार्म बना दिया। इसका फायदा यह हुआ कि अब स्मारिका चंद्राकर के धारा कृषि फार्म से रोजाना 12 टन टमाटर और 8 टन बैंगन का उत्पादन हो रहा है। उनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपये से भी अधिक है।
खास बात यह है कि स्मारिका न सिर्फ खेती से कमाई कर रही है, बल्कि 150 लोगों को रोजगार भी दे रखा है। स्मारिका के खेत में उगाए गए बैंगन और टमाटर की सप्लाई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भी होती है।