हलधर किसान। सोयाबीन की फसल 25 दिन की हो गई है। इस दौरान कीट रोग की संभावना है।
जानिए सोयाबीन की फसल में कीट नियंत्रण कैसे करें? सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए किट रोग नियंत्रण अति आवश्यक है सोयाबीन बोने के पश्चात खरपतवार नियंत्रण के साथ-साथ कीट नियंत्रण होना भी जरूरी है। किसानों के लिए बड़ा प्रश्न यह रहता है कि कौनसा कीटनाशक दवाई सोयाबीन की फसल के लिए उपयुक्त रहती है।
तना छेदक कीट नियंत्रण
तना छेदक कीट का वैज्ञानिक नाम डेक्टीस टेकसान्स है। यह की टेली सोयाबीन की फसल को खासी क्षति पहुंचाते हैं। सोयाबीन की शीध पकने वाली किस्में इस कीट से ज्यादा प्रभावित होती है। इस कीट के लार्वा तने के बीच में सुंरग बना कर तने को खा लेता है।यह किट सोयाबीन की फसल पकने की अवस्था में पौधों को तल से भी काटते है।
किट रोकथाम के लिए यह करें :-
क्षतिग्रस्त पौधे को उखाड़कर नष्ट करें।
गर्मी में गहरी जुताई करें।
प्रतिरोधक किस्में जैसे एच. आर. एम. एस. ओ. 1564 का उपयोग करें।
मानसून के बाद बोनी करना चाहिए।
उपयुक्त बीज दर ही अपनायें।
अत्याधिक नाईट्रोजन उर्वरकों का उपयोग न करें।
पोटॉश खाद का उपयोग निश्चित होना चाहिए अगर मिट्टी में पोटॉश की कमी हो तो।
खरपतवार नियंत्रण करें।
जैविक नियंत्रण के लिए मकड़ी, छिपकली, मकोड़े, चिड्डे, आदि का बचाव करना चाहिए।
सोयाबीन को अन्तर्रवत्तिय फसलें जैसे जल्दी पकने वाली अरहर या मक्का या ज्वार 4:2 के अनुपात में लगाए।
तना छेदक कीट का नियंत्रण
रसायनिक कीटनाशकों से तना छेदक कीट का इस प्रकार नियंत्रण करें।
निम्नलिखित में से किसी भी एक कीटनाशक को 600-800 लीटर पानी में उपयोग करें :-
रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
मोनोक्रोटोफोस 36 एस. एल. 800 मि.लि/हे की दर से छिड़काव करें।
क्वीनॉलफोस 25 एम.सी. 1000 मि.लि./हे की दर से छिड़काव करें।