हलधर किसान। हरियाणा में खरीफ सीजन की फसलों की खरीद पहली अक्टूबर से शुरू होगी. सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के तहत दिए जाने वाले बाजरा के लिए सरकार 1.60 लाख मीट्रिक टन की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करेगी. बिजाई के रकबे को देखते हुए शेष उपज के लिए किसानों को भावांतर भरपाई योजना का लाभ दिया जाएगा. यानी बाजार भाव और एमएसपी में जो अंतर होगा उस हिस्से को सरकार देगी. उन्होंने यह जानकारी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने झज्जर जिले में पत्रकारों से बातचीत में दी.हरियाणा प्रमुख बाजरा उत्पादक है. उधर, अगले साल यानी 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है. इसलिए सरकार इसे आम लोगों के खानपान का हिस्सा बनाना चाहती है. लेकिन दुर्भाग्य से मार्केट में इसका रेट एमएसपी से कम ही मिलता है और कोई भी सरकार किसानों का पूरा बाजरा एमएसपी पर खरीदने के लिए तैयार नहीं है.
बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य कितना है?
केंद्र सरकार ने बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2350 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है. केंद्र सरकार के मुताबिक इस फसल की उत्पादन लागत प्रति क्विंटल 1268 रुपये पड़ती है. खुले बाजार में इसी के आसपास का रेट मिलता है. ऐसे में सरकार पर पूरा बाजरा एमएसपी पर खरीदने का दबाव रहता है. इसलिए हरियाणा सरकार बाजरा की खेती को हतोत्साहित कर रही है. बाजरा के स्थान पर तिलहन और दलहन की खेती करने पर किसानों को प्रति एकड़ 4000 रुपये की मदद दी जा रही है. हरियाणा में चरखी दादरी, भिवानी, रेवाड़ी, झज्जर, महेन्द्रगढ़, नूंह और हिसार में बाजरा की खेती होती है.