सरकार ने अब चीनी निर्यात पर लगाई रोक, एक्सपोर्ट के लिए लेनी होगी विशेष अनुमति

हलधर किसान। महंगाई पर लगाम कसने के लिए पिछले कुछ दिनों से सरकार लगातार एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही है. गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब सरकार ने चीनी के निर्यात पर सशर्त पाबंदी लगा दी है.केंद्र ने इस साल चीनी के निर्यात की मात्रा 100 लाख टन तक सीमित तय करने का फैसला किया है. यह पाबंदी एक जून से अगले आदेश तक लागू रहेगी. चीनी मिलों और निर्यातकों को एक जून के बाद निर्यात के लिए सरकार से एक्सपोर्ट रिलीज ऑर्डर के रूप में मंजूरी लेनी होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी की है.

घरेलू कीमतों में उछाल को रोकने के लिए भारत में छह साल में पहली बार शुगर एक्सपोर्ट को प्रतिबंधित करने की उम्मीद है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस सीजन के निर्यात को 1 करोड़ टन पर सीमित कर सकती है. इस साल 90 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट का अनुमान था. दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक और ब्राजील के बाद दूसरे सबसे बड़े निर्यातक भारत ने सितंबर को समाप्त होने वाले चालू मार्केटिंग ईयर में 85 लाख टन चीनी का निर्यात किया है. पिछले साल 71.91 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट हुई थी. आपको बता दें कि शुगर मार्केटिंग ईयर अक्टूबर से सितंबर तक चलता है.

घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ने के बाद सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. देश में चीनी की कीमतों में उछाल को रोकने के लिए सरकार अब चीनी निर्यात पर लिमिट लगाएगी.

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक, भारत इस साल 35 मिलियन टन चीनी का उत्पादन कर सकता है और 27 मिलियन टन खपत हो सकती है. पिछले सीजन के लगभग 8.2 मिलियन टन के भंडार सहित इसके पास निर्यात के लिए 10 मिलियन सहित, 16 मिलियन का सरप्लस है.

चीनी निर्यात में भारत कहां?

बता दें कि चीनी निर्यात के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है, और पिछले छह साल में चीनी निर्यात पर पहली बार बैन लगाया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि, सरकार अपने पास कम से कम दो से तीन महीने का अतिरिक्त चीनी स्टॉक रखना चाहती है ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके. हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में चीनी के स्टॉक को लेकर फिलहाल कोई चिंता नहीं है लेकिन एहतियात के तौर पर और बढ़ते दाम पर लगाम लगाने के लिए ये फैसला लिया है.

इससे पहले, सरकार ने हाल ही में खाने के तेल सोयाबीन और सूरजमुखी ऑयल पर 2 साल के लिए कस्टम ड्यूटी फ्री करने का फैसला लिया है. जबकि, पिछले सप्ताह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाया था. साथ ही इस्पात और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क हटाने का भी फैसला लिया था. ताकि बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जा सके और आम आदमी को राहत मिले.

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