ट्रैक्टर्स के साथ पंजाब से किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू, रोकने सरकार ने झोंकी पूरी ताकत

ट्रैक्टर्स के साथ पंजाब से किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू, रोकने सरकार ने झोंकी पूरी ताकत

दिल्ली चलो’ मार्च शुरू, रोकने सरकार ने झोंकी पूरी ताकत

हलधर किसान। मोदी सरकार ने हाल ही में किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया. लेकिन शायद किसानों को साधने का सरकार का ये दांव फेल हो गया, क्योंकि किसान यूनियनों ने दिल्ली कूच के अपने निर्णय को अमलीजामा पहनाने का मन बना लिया है। मोदी सरकार के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन तेज हो गया हैं. नवंबर 2021 में किसानों ने आंदोलन खत्म किया था, लेकिन दो साल बाद वह फिर सड़कों पर हैं.पंजाब के फतेहपुर साहिब से किसानों का दिल्ली चलो मार्च शुरू हो गया है। 

किसान नेताओं और केंद्र के बीच बातचीत के बेनतीजा रहने के बाद किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर बहुस्तरीय अवरोधक, कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली की तीन सीमाओं – सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर दंगा-रोधी वर्दी में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को अत्यधिक संख्या में तैनात किया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान किया है. किसान यूनियनों ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया है. मंगलवार को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लाखों किसानों के दिल्ली की ओर कूच कर रहे है हालांकि, दिल्ली प्रवेश के रास्तों पर किसानों को रोकने के लिये सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी है। 

वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को एक दिन के लिए ग्रामीण भारत बंद का आह्वान भी किया है.

क्यों फिर दिल्ली कूच कर रहे किसान?

ये पहली बार नहीं है जब किसान आंदोलन कर रहे हैं. दो साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था तब मोदी सरकार को किसानों के आगे घुटने टेकने पड़े थे और संसद से पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था.

ट्रैक्टर्स के साथ पंजाब से किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू, रोकने सरकार ने झोंकी पूरी ताकत

किसानों का डर था कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म कर सकते हैं और खेती-किसानी कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों में सौंप जा सकते हैं. हालांकि, कृषि कानूनों को लेकर किसानों को बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी. किसान करीब एक साल तक लगातार धरना प्रदर्शन करते रहे. किसानों को दावा है कि इस आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई, हालांकि, सरकार और गैर सरकारी सतह पर इन दावों को अहमियत नहीं मिली.

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दो साल पहले सरकार ने न सिर्फ कानूनों को रद्द कर दिया, बल्कि एमएसपी पर गारंटी देने का वादा किया. इसके बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था. लेकिन अब किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी को लेकर अपने वादे पूरे नहीं किए. 

किसानों की क्या है मांग?

2021 के आंदोलन की तरह ही इस बार भी अपनी कई मांगों के लिए किसान विरोध प्रदर्शन के लिए उतर रहे हैं. खास तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना उनकी सबसे बड़ी मांग है.

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि वह केंद्र सरकार को सिर्फ उनके दो साल पहले किए गए वादों को याद दिलाना चाहते हैं जो किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते हुए सरकार ने किए थे. वो वादे अबतक पूरे नहीं हुए हैं. सरकार ने एमएसपी पर गारंटी का वादा किया था. किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही थी. 

विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर सभी सीमावर्ती रास्तों पर पुलिस और केंद्रीय बलों की टुकड़ियां तैनात की गई है. करीब 5 हजार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है. जबकि कटीले और नुकीले तार लगाकार किसानों का रास्ता रोकने की तैयारी है. सीसीटीवी और लाउडस्पीकर भी लगाए गए हैं. 

दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर आठ लेयर की दीवारें खड़ी की गई हैं. कुछ सड़कों पर पत्थर के बड़े-बड़े बेरिकेड और लोहे के कंटेनर लगा दिए हैं. किसानों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पानी की बौछार करने के भी इंतजाम हैX. साथ ही सोशल मीडिया की हर गतिविध को मॉनिटर किया जा रहा है.

कानून उल्लंघन करने वाले होंगे गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टरों के प्रवेश पर प्रतिबंध है. बंदूक, ज्वलनशील पदार्थ, ईंट, पत्थर जैसे अस्थायी हथियार रखने पर प्रतिबंध है. पेट्रोल और सोडा की बोतल इक्कठा करने पर भी रोक है. इसके अलावा अगले एक महीने तक लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर मनाही है.

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