देश के पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट की शुरुआत बिहार के पूर्णियां से हुई है. इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 65 हजार लीटर प्रतिदिन है. इस प्लांट में मक्का और ब्रोकेन राइस से इथेनॉल का उत्पादन शुरू हो गया है.
हलधर किसान। बिहार देश का प्रमुख कृषि उत्पादक राज्य हैं. यहां की मुख्य फसलों में मक्का भी शामिल है. बिहार में मक्के के उत्पादन की कहानी यह है कि राज्य में 100 फीसदी मक्के की संकर किस्मों का उत्पादन होता है. तो वहीं आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान तथा महाराष्ट्र के बाद बिहार देश का 5वां सबसे बड़ा मक्का उत्पादक राज्य है. मसलन, देश के कुल मक्का उत्पादन में बिहार का योगदान लगभग 9 प्रतिशत है. अब बिहार मक्का उत्पादन की अपनी इस विशेषता से विकास की नई ईबारत लिखने की तरफ बढ़ रहा है. जिसके तहत बिहार ने मक्के से आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस उद्देश्य के साथ बिहार ने इथेनॉल उत्पादन का कोटा बढ़ाने के प्रयास तेज किए हैं
बिहार एक ऐसा प्रदेश है, जहां इथेनॉल का उत्पादन तो हो सकता है, लेकिन, उत्पादन का कोटा सीमित है. असल में कोटे के तहत इस वक्त बिहार सिर्फ 36 करोड़ टन इथेनॉल का उत्पादन कर सकता है. जबकि बिहार की क्षमता की बात करें तो राज्य में 100 करोड़ टन सालाना उत्पादन हो सकता है.
वहीं इथेनॉल उत्पादन में बिहार की तुलना उत्तर प्रदेश की जाए तो मौजूदा समय में इथेनॉल उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश के लीडिंग प्रोड्यूसर के रूप में उभरा है. राज्य भर में फैले इसके 54 डिस्टिलरी कुल 58 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पन्न करते हैं.
उत्पादन का कोटा बढ़ाने की हो चुकी है मांग
बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखकर तेल कंपनियों को बिहार से इथेनॉल खरीद का कोटा मक्का उत्पादन के अनुपात में आवंटित करने की मांग कर चुके हैं. असल में बिहार में अभी तक 139 कंपनियों को इथेनॉल उत्पादन के लिए स्टेज-1 का क्लीयरेंस मिला है. वे अपनी उत्पादन क्षमता चार करोड़ लीटर से बढ़ाकर 58 करोड़ लीटर तक करने में सक्षम है. आगे और भी कंपनियों ने बिहार की आकर्षक इथेनॉल पॉलिसी को ध्यान में रखकर यहां अपनी इकाई लगाने के इरादे जता चुकी हैं. इसका प्रमुख कारण यह है कि बिहार में इसके लिए पर्याप्त कच्चा माल भी उपलब्ध है.
बिहार को क्यों चाहिए 58 करोड़ लीटर का कोटा
देश के कुल मक्का उत्पादन वाले क्षेत्रफल में बिहार की हिस्सेदारी सात फीसदी और कुल मक्का उत्पादन में 8.9 फीसदी का योगदान है. भारत सरकार की ओर से इथेनॉल खरीद के लिए जारी संशोधित एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट के तहत देश में कुल 648.5 करोड़ लीटर सालाना इथेनाल खरीद का लक्ष्य तय किया गया है. मक्का उत्पादन में 8.9 फीसदी हिस्सेदारी के हिसाब से बिहार का दावा सालाना 58 करोड़ टन तेल कंपनियों की ओर से खरीद का बनता है.
पूर्णिया में लगा है पहला प्लांट
बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन की पहल के बाद ही बिहार में देश का पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट (Ethanol Plant) ने काम करना शुरू कर दिया है. इससे पहले कुछ दिन पहले ही बेगूसराय में पेप्सी के प्लांट में काम शुरू हुआ. यह प्लांट बिहार का पहला वाटर बोटलिंग प्लांट है. बिहार सरकार का दावा है कि राज्य में पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट की शुरुआत होने से सीमांचल क्षेत्र के अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में विकास की गति और तेज होगी. इस इथेनॉल प्लांट की शुरुआत नए उद्योगों और रोजगार सृजन के नजरिए से बड़ा कदम साबित हो सकता है.
केंद्र और राज्य की इथेनॉल पॉलिसी 2021 के बाद देश के पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट की शुरुआत बिहार के पूर्णियां से हुई है. पूर्णियां के गणेशपुर में ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्रा. लि. (EIBPL) द्वारा स्थापित यह ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट के बनने में 96.76 करोड़ की लागत लगी है. इस प्लांट की उत्पादन क्षमता 65 हजार लीटर प्रतिदिन है. इस प्लांट में मक्का और ब्रोकेन राइस से इथेनॉल का उत्पादन शुरू हो गया है. इसके शुरू होने से रोजगार के भी कई अवसर मिलेंगे.जानकारी के मुताबिक, इसके शुरू होने से मक्का एवं धान किसानों का काफी लाभ होगा. साथ ही रोजगार के कई अवसर मिलेंगे. सीमांचल के हजारों हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. खासकर पूर्णियां, कटिहार, किशनगंज और अररिया के दो हजार से भी ज्यादा हेक्टेयर जमीन पर खेती करने वाले किसानों का फायदा होगा. 17 इथेनॉल प्लांट लगाए जा रहे हैं.