अमृत पुष्पक परियोजना : कटनी में ड्रोन से फसलों पर किया नैनो यूरिया का छिड़काव

हलधर किसान। अमृत पुष्पक परियोजना के माध्यम से मध्यप्रदेश के कटनी जिले के ग्राम तेवरी, भेड़ा, लिगरी और बिछिया की लगभग 133 एकड़ क्षेत्र में ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव, एक अभिनव पहल है।ऐसा करने वाला कटनी जिला देश का पहला जिला बन गया है। आत्मा परियोजना (एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेन्ट एजेन्सी), इफको, जिला ई-गवर्नेन्स सोसाईटी कटनी और मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के संयुक्त प्रयास से किसानों को कृषि कार्य में ड्रोन सहित उन्नात तकनीक के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया गया। यह अभिनव पहल करने वाला कटनी देश का पहला जिला है। वहीं आत्मा परियोजना, इफको, जिला ई-गवर्नेन्स सोसाईटी तथा एमपीएसईडीसी द्वारा संयुक्त रुप से किया गया यह प्रयास पूरे देश में एक अभिनव पहल है, जो आगे चलकर कृषकों को खेती में उन्नात तकनीक का उपयोग कर इस क्षेत्र में कम लागत और बेहतर उत्पादन करने में सहायक साबित होगी।इस उपलब्धि के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी ट्वीट कर कटनी जिले के कलेक्टर प्रियांक मिश्रा उनकी पूरी टीम व इफको की पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

ड्रोन तकनीकी का सुशासन एवं शासकीय सेवाओं में उपयोग सुनिश्चित करने एवं नागरिकों को त्वरित एवं लाभकारी सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा गठित राज्य स्तरीय टास्कफोर्स की अनुशंसा अनुसार मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन भोपाल द्वारा ड्रोन के क्षेत्र में नवाचार के लिए प्रत्येक लिे को प्रस्ताव प्रेषित किये जाने के लिए निर्देशित किया गया था जिसके तारतम्य में जिला ई-गवर्नेंस सोसाइटी कटनी द्वारा ड्रोन तकनीक के माध्यम से किसानों की फसलों में कीटनाशक एवं उर्वरक के छिड़काव हेतु प्रस्ताव भेजा गया, एवं अनुमति प्राप्त होने उपरांत लिे में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस कार्य को प्रारम्भ कराया गया।

तेवरी गांव पहुंचकर कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने स्वयं ड्रोन से तरल नैनो यूरिया के छिड़काव कार्य का जायजा लिया। साथ ही कृषकों से चर्चा कर इस संबंध में जानकारी भी दी। इस दौरान उप संचालक ए. के. राठौर, जिला प्रबंधक ई गवर्नेन्स सोसाइटी सौरभ नामदेव, इफको के जनरल मैनेजर बहादुर राम, प्रखर सॉफ्टवेयर से प्रदीप नामदेव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आत्मा के.एल. कोष्टा व कृषि वैज्ञानिक और कृषक उपस्थित रहे।

एक एकड़ फसल के रकबे में महज 10 मिनिट में होगा रसायन का छिड़काव

इस दौरान लिा प्रबंधक ई-गवर्नेन्स सोसाईटी सौरभ नामदेव ने कृषकों को बताया की छिड़काव के लिये हेक्साकोप्टर ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है, जिसकी भारवाहक क्षमता 12 लीटर की है। यह एक एकड़ की फसल के रकबे में महज 10 मिनट में रसायन के स्प्रे का कार्य पूर्ण कर सकता है। ड्रोन 250 पार्टिकल पर इंच छिड़काव की क्षमता रखता है जो परम्परागत छिड़काव पद्धति से कई गुना अधिक है, इससे नैनो यूरिया की खपत भी कम होगी, साथ ही पौधे की पत्तियों द्वारा यूरिया का पूर्ण अवशोषण भी होगा। ड्रोन में ऑटो पायलट मोड़ भी उपलब्ध है, जिससे खेत के क्षेत्रफल को मैप में पूर्व से दर्ज कर छिड़काव किया जा सकता है।

अमृत पुष्पक परियोजना के तहत ड्रोन से छिड़की जा रही तरल नैनो यूरिया की खासियत भी किसानों को बताई गई। इफको में मुख्य प्रबंधक आर के मिश्रा ने बताया कि कृषि तरल नैनो यूरिया की कीमत, परंपरागत यूरिया से कम है और इसका लाभ सीधे पौधों को मिलता है।

तरल नैनो यूरिया, पारंपरिक यूरिया का एक सशक्त विकल्प बनकर उभरा है। श्री मिश्रा ने बताया कि तरल नैनो यूरिया का इस्तेमाल करने से किसानों को आर्थिक बचत होगी, उत्पादकता बढ़ेगी और देश की यूरिया आयात पर निर्भरता घटेगी। तरल यूरिया देश मे ही निर्मित हो रही है। तरल यूरिया का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।

इफको के वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि फसलों में ड्रोन से रसायनों का छिड़काव करने से पूरे खेत मे एक बराबर तरीके से रासायनों का छिड़काव हो जाता है। वहीं हाथ से छिड़काव करने वाले व्यक्ति को रासायनों से होने वाले दुष्प्रभाव को भी नही झेलना पड़ता। ड्रोन से कम समय मे अधिक जमीन पर छिड़काव हो जाता है, इससे किसानों का समय बचता है।

ड्रोन मानव रहित छोटा विमान है, इसे दूर से नियंत्रित तरीके से रिमोट कंट्रोल के माध्यम से उड़ाया जाता है। इसमे लगे टैंक की क्षमता 12 लीटर है, जिसमें दवा भरकर खेतों में आसानी से छिड़काव किया जाता है। ड्रोन से महज 8 से 10 मिनिट में एक एकड़ में लगी फसल में कीटनाशक या उर्वरक का छिड़काव हो जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *