गंगा की जैव विविधता को बचाने के लिए नदी में छोड़ी गई 56 लाख मछलियां, 195 प्रजातियां पाई भी गई

हलधर किसान। भारत मे अध्यात्म से लेकर सामान्य मानव जीवन तक गंगा नदी पूजनीय है. लेकिन, गंगा नदी में होने वाला प्रदूषण मौजूदा समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. जिससे साफ करने के लिए मछुआरों को गंगा से जोड़ने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में गंगा की जैव विविधता को बचाने के लिए 56 लाख मछलियां नदी में छोड़ी गई है. असल में 75वें आजादी का अमृत महोत्सव के अंर्तगत केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) ने राष्ट्रीय स्तर पर रैन्चिंग कार्यक्रम- 2022 मनाया गया. इस दौरान नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत मत्स्य रैन्चिंग, डॉल्फिन एवं जल संरक्षण और जन जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें यह जानकारी दी गई. इस कार्यक्रम में परषोत्तम रूपाला (केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री) भी मौजूद रहे.केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान आम नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि गंगा नदी की स्वच्छता को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार की केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुएं एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा में ना प्रवाहित करें. उन्होंने कहा कि इससे न केवल गंगा प्रदूषित होती है बल्कि नदी में रहने वाले जीवों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.कार्यक्रम को डॉ. जे . के. जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) आईसीएआर, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, पुलिस कमिश्नर, वाराणसी की भी उपस्थिति रही.
केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री परषोतम रूपाला ने कार्यक्रम में कहा है कि पिछले चार वर्षों में नदी से लगभग 190 मछली प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जो गंगा नदी के तट पर रहने वाले मछुआरों को आजीविका और आर्थिक स्थिरता प्रदान कर रही है.
इस दौरान उप महानिदेश ने मछलियों के संरक्षण में सरकार के साथ – साथ समाज की भागीदारी पर जोर दिया. ICAR केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर के निर्देशक और नमामि गंगे परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. बसंत कुमार दास ने स्थानीय मछुआरों को गंगा नदी में प्राप्त मछलियों और डॉल्फिन के स्वास्थ्य और संरक्षण के पारिस्थितिक विषयों के बारे में जागरूक किया.
4 प्रजातियां की मछलियां नदी में छोड़ी गई
असल में नमामि गंगेपरियोजना के एक हिस्से के रूप में चार अलग-अलग राज्यों को कवर करते हुए गंगा नदी के अलग-अलग क्षेत्रों में 56 लाख से अधिक देसी गंगा कार्प (रोहू,कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को गंगा नदी में छोड़ा जा चुका हैं. इस कार्यक्रम के दौरान 19 अगस्त, 2022 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में 2 लाख से अधिक (रोहू, कतला और मृगल) फिंगरलिंग (अंगुलिकाओं) को अस्सी घाट से गंगा नदी में छोड़ा गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी की जैव विविधता को बनाए रखने एवं मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन को उचित दिशा देना हैं.

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